मुझे इससे अच्छा Compliment आज तक नही मिला की "अरे वो आपकी कविता है मैंने इन्टरनेट पे बहुत जगह पढ़ी है "
पिछले साल एक ब्लॉग(नारी का कविता ब्लॉग ) पे ये चर्चा चली कि ये कविता "क्या लिखूं" का असली लेखक कौन है | मैं साधुवाद देता हूँ ऐसी कोशिश को की कम से कम किसी ने ये मुहिम शुरू कि इस कविता के असली लेखक का पता लगाया जाए |
उस दौरान मैं बहुत व्यस्त था इसीलिए मैंने सोचा था कभी तफसील से सबसे इस कविता के बारें मैं बात करूँगा और अपने हिस्से का सच सबके सामने लेके आऊंगा |
ऐसे ही एक दिन मैं ऑरकुट(Orkut) पे मैंने “कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ “ ये search किया तो search result देख के मैं बहत खुश हुआ कि इतने ज्यदा लोगो ने इससे कॉपी कर रखा है अपने About me में डाल रखा है ...फ़िर मैंने यही Google पे Search किया तो देखा वहां भी यही हल है बहुत से लेगो ने इसे अपने ब्लॉग पे लगा रखा है बिना किसी भी लेखक का नाम लिखे हुए |
शुरू में मुझे लगा यार मेरी कविता इतने लोगो ने लगा रखी वो और किसी ने भी नाम नही लिखा मेरा ..लेकिन बाद में लगा की कविता तभी तक अपनी होती है जब आप उसे लिखते हैं फ़िर अगर कविता अच्छी हो तो सबकी हो जाती
मैं हर एक उस शख्स का शुक्रगुजार हूँ जिसने इससे कॉपी किया और इस कविता के ही अपने आप में इस कविता का सच और सफलता है| है |
बहुत दिनों से एक विडियो बनाना चाहता था किसी कविता पे फ़िर मैंने जानबूझ कर ये कविता चुनी ताकि थोड़ा बहुत शक अगर किसी के भी दिमाग में रह गया हो तो वो भी ख़तम हो जाए
यहाँ College(Symbiosis institute of Business management, Pune) में मुलाकात हुई समर्थ से जो की मेरे साथ ही MBA की पढ़ाई कर रहे हैं और थिएटर , एक्टिंग, एडिटिंग का बहुत शौकीन है और बहुत से Play में काम भी कर चुके हैं , और अभी थोड़े दिन ही पहले हम लोगो ने एक Play ,IIM Banglore मैं किया हो की हिन्दी play की category मैं first आया , जिसका निर्देशन समर्थ ने ही किया था| बस फ़िर क्या था हम लोगो ने MaterStroke नाम से २-३ विडियो बनाये और प्ले किए |
मैं वो सारे फोटो साथ मैं संलग्न कर रहा हूँ जिससे ये सिद्ध होता है कि ये कविता मैंने ही लिखी है और सबसे पहले में ही पोस्ट कि थी "हिन्दी कविता " नामक Google group में !!
ये कविता जीवन के बहुत सरे द्वंदों के बारे में है ,वो द्वंद जो जिंदगी को जिंदगी बनाती हैं | कहते हैं आप कविता नही लिखते कविता आपको लिखती है,जब उसको आना होता है तो वो ये नही देखती की आपके पास विषय है या नही ,वो तो बस आ जाती है | पता नही इस कविता ने मुझे और मैंने इस कविता को कितना लिखा है |मेरे लिए फर्क करना मुश्किल है
क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के जज़्बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ
कुछ समझूँ या मैं समझाऊं या सुन के चलता ही जाऊँ
पतझड़ सावन बरसात लिखूं या ओस की बूँद की बात लिखूँ
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ
मै एक ही मजहब को जी लुँ या मजहब की आन्खे चार लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
सादर
दिव्य प्रकाश दुबे
© Copyright Rests With Creator. Divya Prakash Dubey
Kya likhun at Nav Bharat Times
Tuesday, April 21, 2009
Kya likhun -क्या लिखूँ
Posted by
Divya Prakash
at
4:01 AM
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Bahut pyaara mahaul banaya hai...
ReplyDeletekavita hridya ko choone vali hai..bas itna hee kah sakta hoon..:)
ReplyDeletesuper show man! u have got talent man.. only a few have it..
ReplyDeleteजी बढिया कविता है... पहली बार पढी..
ReplyDeleteआपने सही लिखा है कि कविता तभी तक अपनी होती है जब तक वह बाकी लोगों के दिल तक नहीं पहुंचती.. जैसे ही वह लोगों को भा गई वह उनकी हो जाती है..
लिखते रहिये...
Some of the responses from people in college
ReplyDeleteRupesh - its a nice one - gud way to advertise.
editing acha tha.. :)
Abhilasha - good stuff
Kshitij - AWESOME!!
Arpit Mittal - wow.. tum log to phodte hi ja rahe ho.. lage raho .. keep the good work going on... cheers
Ankush Khurana - sir hamara cameo dalne ke liye shukriya...bahut sahi banaya hai..
Abhishek(Ist yr) - good........
Nishant (1 yr)excellent video,i really liked it keep the good work going.my best wishes r with u guys
Ankush (Ist Yr) - totally blown out!!!! amazing
Vijay Dhoke : very nice and peaceful
Gurpreet: abhi dekhaaa...very nice work yaar
dil kar raha thaa khatam hee naa ho..
Dear Divya Prakash,
ReplyDeleteI have seen your poetry, I agree with the incident that two words of the last row in each triplet matches with the word "kya likhoon", but as I think its a very simple incident. I would like to make one thing clear that before writing my poem I didn't read you. One more thing that we use more that 2000 common words that are used by all India, as far as I know a title of a poem is not more than a common word and that could be repeated by thousands of people and thousands of time, so please take it easy. During the Period of Development of Hindi for 400 years there would be hundreds of people who could have used the same terminology and idea for a poem.
every time when you want to write somthing but can't, you write the same poem, and everybody do the same. Sorry for saying this but I will say "Neither Me nor You are the first person to write on this topic and title".
With Regards,
Gaurav
bahut khoob....infact superb
ReplyDeleteवाह...बढ़िया लिखे हो..इसका एक नया राजनीतिक वर्जन किसी भाई ने लिख डाला है...मिली तो मैने भी अनाम नाम से डाल दिया..उसे अनाम ही रहने देता हूं...भावनाएं और शब्द उसके हैं..लेकिन प्रेरणा आपसे मिली...दोनो वास्तव में बेहतरीन.. आपने सही कहा..कविता किसी की नहीं..वो तो बस कविता होती है..
ReplyDeleteसलाम..समर्थ भाई के साथ का किस्सा भी आपका अच्छा है...आपकी टर्म एंड कंडीशंस अबतक कई बार पढ़ चुका हूं.. वाकई कमाल का लिखते हैं आप..आज टर्म्स एंड कंडीशंस मेरी पसंदीदा पुस्तकों में से एक है..कई मित्रों को भी पढ़ा चुका..जादुई है...ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहे..शुभकामनाएं..और हां..आपसे प्रेरित आपकी ही जुबान की राजनीतिक कविता यहां मेरे ब्ल़ॉग पर पोस्ट है..आप भी देंखें...
http://jeewaneksangharsh.blogspot.in/2014/01/blog-post_28.html