This song is dedicated to all who ever been part of Symbiosis institute of business Management,Pune
"the passion to live it up and the spirit to wear it on our sleeve"
Video of Spirit of SIBM by Jazba
Lyrics -
आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को
आँखों में सपने लाये ,कुछ कर दिखाने को
कुछ सपने पीछे छूटे पलकों पे आंसू बनके
कुछ अपने पीछे छूटे पलकों पे आंसू बनके
कुछ ख्वाब झांकते हैं आँखों में मोती बनके
कुछ वादे अपनों के हैं ,कुछ वादे अपने से
कल दुनिया महकेगी फूल जो आज खिलने को हैं ....2
खिलने दो रंगों को फूलों को अपने संग
महकेगी दुनिया सारी ,बहकेगी अपने संग
ख्वाबों के परवाजो से आसमान झुकाने को है........2
आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को
आँखों में सपने लाये ,कुछ कर दिखाने को
क़दमों की आहट अपनी दुनिया हिला देगी
यारों की यारी अपनी हर मुश्किल भुला देगी
दिव्य प्रकाश दुबे
Divya Prakash Dubey
SIBM Batch of 2007-09
dpd111@gmail.com© Copyright Rests With Creator. Divya Prakash Dubey
Wednesday, December 17, 2008
Spirit of SIBM
Posted by
Divya Prakash
at
8:24 PM
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ye tumhara mastersoke hai....
ReplyDeleteaapki farewell ki ye poetry abhi padhi....ham nahi chahte ki tareef karein .....but aap koi wajah hi nahi chodte.....couldnt see video ...headphone not functioning
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