Sunday, August 17, 2008

कान की खुजली से मोक्ष तक !!


कान में खुजली एक ऐसी घटना है जो कभी भी किसी के साथ भी घट सकती है | ये भीड़ देखकर नही रूकती ,कभी भी अकेले में या क्लास रूम में ,या पिक्चर हाल में ,ट्रेन में ,ऑफिस में "कहीं भी कभी भी " इसके दौरे पड़ सकते हैं | इसे घबराने की जरुरत नही नही बिल्कुल भी परेशानी वाली बात नही | जब भी घुजली हो तो ये आपके लिए एक सुनहरा मौका है मोक्ष तक की यात्रा कर आने का खर्चा कुछ नही है कहीं तीरथ यात्रा पे भी नही जाना | बस करना ये की आस पास कोई पेंसिल,पेन की रिफिल ,जली हुई अगरबती का बचा हुया हिस्सा ,माचिस की तीली इनमे से किस्सी को भी ढूंढ़ लें और धीरे से अपने कान के पास ले जायें बिल्कुल आराम से क्यों की आगे की डगर इतनी आसान नही है भी है
"ये सफर नही है आसां बस इतना समझ लीजे ,
एक माचिस की तीली है और बहुत दूर तक जाना है "
अब आप आगे की यात्रा के लिए जरुरी सामान रख चुके है तो बस देर किस बात की है यात्रा शुरू करते है आइये लोगो से जानते हैं उनकी इस बारे मैं क्या राय है ...
मृत्युंजय तिवारी जो मूलतः पूर्वांचल के रहने वाले हैं लेकिन आज कल पढ़ाई के लिए पुणे मैं हैं कहते हैं " हमने मोक्ष तो नही देखा लेकिन मोक्ष को महसूस किया है ये भावना तब अपनी प्रचंडता पे होती है जब क्लास मैं बैठे हुए पूरे मन से कुछ समझने की कोशिश कर रहे होते हैं लेकिन तभी खुजली का मदमस्त झोका आता है और कानो के साथ हमारे दिलो दिमाग को मदमस्त कर जाता है जब हमारी जेब से निकलती है मोक्षदायनी एक रिफिल Cello Gripper की,कान के पास हौले से ले जाके घुमाइए और जब लगे की मोक्ष दूर नही है तो पूरी तेरह से कोंच दीजिये !!"
पुनीत जो की पेशे से मेनेजर हैं पुणे में स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं कहते हैं " ये बहुत आशावान है इस तरह की सार्थक और दिलो दिमाग को छु लेने वाली चर्चा अब इन्टरनेट पे आरंभ हो चुकी है "अब चलते कुछ अगल विचारधारा के पुरोधा के पास चलते हैं नाम है मोहित सिंह जो की पेशे से DCE इंजिनियर ,और ६ सल् अपनी सेवायिएँ एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को अपनी को देके आज कल पुणे स्थित एक प्रबंधन संसथान मैं अध्यनरत हैं ,कहते हैं “हम लोग अपने जीवन के छोटे छोटे क्षणों में जीना भूल गए हैं,मुझे पूरा विश्वास है की मोक्ष के लिए वर्षो तपस्या करने की कोई आवश्यकता नही है ,मोक्ष को हम इन छोटे छोटे क्षणों में पा सकते हैं जैसे की कान मैं खुजली करना "
मुझे लगता है की इस विषय पे एक राष्टीय स्तर पे बहस की आवश्यता है ,शायद ये वो सच है जिससे हमारी पीढियां बरसों वंचित रही हैं |
आपकी मोक्ष यात्राओं का विवरण जाने की प्रतीक्षा में ...
सदर
दिव्य प्रकाश दुबे